पाली। मारवाड़ की धरा पर किसान अब खारे पानी में भी सरसों की बंपर पैदावार ले सकेंगे। अधिक तापमान का भी सरसों की फसल पर असर नहीं पड़ेगा और आसानी से बीज अंकुरित हो सकेगा। ये संभव हो सकेगा सरसों की नई किस्म से, जो कि सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर भरतपुर ने विकसित की है। सरसों ये नई किस्म डीआरएम 1165, 40 व 32 है। इस किस्म का जोधपुर रोड स्थित काजरी में प्रदर्शन कर लिया गया है। इस किस्म की काजरी में बुवाई करने के बाद काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
तेल की मात्रा अधिक होगी
सरसों की नई किस्म में तेल की मात्रा 40 से 42 प्रतिशत तक होगी। इस किस्म की विशेषता यह है कि अन्य सरसों की किस्मों के मुकाबले में सरसों में तेल की मात्रा अधिक होगी।
26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार
डीआरएम 1165, 40, 31 सरसों की किस्मों की प्रति हैक्टेयर 26 क्विंटल पैदावार होती है। यह किस्म अन्य सरसों की किस्मों के मुकाबले में ज्यादा पैदावार देती है। इस किस्म की ऊंचाई भी अधिक होती है और बड़ा दाना आता है। यह फसल 130 से 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।
अधिक तापमान में भी बुवाई
सितम्बर व अक्टूबर माह में मारवाड़ का तापमान अधिक रहता है। इस कारण से किसान सरसों की बुवाई नहीं कर पाता है। लेकिन, भरतपुर की ओर से विकसित सरसों की नई किस्म डीआरएम 1165, 40, 31 से ये संभव हो सकेगा। अब अधिक तापमान में भी किसान सरसों की बुवाई कर सकेंगे। खास बात ये है कि अधिक तापमान होने पर भी बीज नष्ट नहीं होगा।
100 किसानों ने की बुवाई
जिले भर में करीब 100 किसानों ने डीआरएम 1165, 40 व 31 किस्म की सरसों की बुवाई की है। यह फसल दूसरी सरसों के मुकाबले में अच्छी खड़ी है। सरसों की फसल पर दूसरी सरसों के मुकाबले में फॉल भी अच्छा आया है। यह किस्म खारे पानी में भी हो जाती है। मारवाड़ के किसानों के लिए यह किस्म वरदान साबित होगी। –डॉ. धीरजसिंह, कृषि वैज्ञानिक काजरी पाली