जोधपुर. राज्य सरकार की ओर से बजट में महंगी मशीनें मरीजों की सुविधा के लिए अस्पतालों में भेज तो दी जाती हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते इन मशीनों का सही सदुपयोग समय पर नहीं हो पाता है। एेसा ही एक मामला शिवराम नत्थुजी टाक मंडोर सैटेलाइट अस्पताल में देखने को मिला है। जहां तीन साल पहले तत्कालीन भाजपा सरकार के राज में आवंटित डायलिसिस मशीन पहले तो जिला अस्पताल महिला बाग भेजी गई, जहां जगह के अभाव में अस्पताल ने मशीनों को फिर मंडोर सैटेलाइट अस्पताल भेज दिया। जहां भी मशीन तीन साल तक कबाड़ की तरह अस्पताल के कोने में पड़ी रही। अब मशीन का वारंटी पीरियड खत्म हो गया।
एएमसी खत्म, कंपनी ने किए हाथ खड़े
इस मशीन को इंस्टॉल करने वाली कंपनी का तीन साल का एनुअल मेंटेनेंस कांटेक्ट का वारंटी पीरियड था। १५ लाख रुपए की डायलिसिस मशीनें इधर-उधर अधिकारियों की लापरवाही के चलते घूमती रही। जबकि इसमें पानी का प्लांट व अन्य सामान मिलाकर कुल २० लाख रुपए की लागत आई है। बता दें कि मंडोर के स्थानीय लोगों की ओर से मामला ध्यान में लाने पर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रशासन इसे एमडीएम अस्पताल में काम में लेने वाला था, लेकिन इसका विरोध करने पर मशीन को मंडोर अस्पताल में रोक दिया गया।
डॉक्टर को ट्रेनिंग कराई, लेकिन फायदा क्या?
इस डायलिसिस मशीन को बाद में चालू कराने के लिए डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज ने प्रयास किए, एक डॉक्टर को ट्रेनिंग करवाई, लेकिन तब तक मामला हाथ से निकल चुका था।
रिटायर्ड कर्मचारी नि:शुल्क सेवा देने को तैयार
महात्मा गांधी अस्पताल के डायलिसिस सेंटर के पूर्व इंचार्ज सेवानिवृत्त उगमसिंह शुरू से प्रस्ताव रख रहे हैं कि वे मंडोर अस्पताल में अपनी नि:शुल्क सेवाएं देंगे। साथ ही एमडीएम, एमजीएच व मंडोर सहित अस्पताल का सुपरविजन भी नि:शुल्क करेंगे। वहीं अब उगमसिंह मंडोर अस्पताल में डायलिसिस शुरू कराने के लिए पुरजोर खुद के स्तर पर प्रयास कर रहे है।
दोषी जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई
चिकित्सालय में मरीजों के सुविधा के उपयोग में आने वाली मशीन का वारंटी पीरियड खत्म हो गया। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
– लक्ष्मणसिंह सोलंकी, पूर्व जिला सचिव, शहर युवक कांग्रेस
डॉक्टर को ट्रेनिंग करवाई है
इस संबंध में एक डॉक्टर्स को ट्रेनिंग करवाई है। टाइम पीरियड का इश्यू आ रहा है।
– डॉ. सुनील, पीएमओ, मंडोर सैटेलाइट अस्पताल