जयपुर. पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कूर्म द्वादशी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन विष्णुजी ने कूर्म अर्थात कछुए का अवतार लिया था। इस दिन भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार की विधिविधान से पूजा करने का विधान है। कूर्म द्वादशी के दिन श्राद्ध और दान देने का भी महत्व बताया गया है। इस बार 25 जनवरी सोमवार को कूर्म द्वादशी मनाई जा रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार कूर्म द्वादशी पर विष्णुजी और कछुआ की पूजा करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं।
इस दिन सुबह स्नान कर सूर्यदेव को अघ्र्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद घर या मंदिर में जाकर भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा संपन्न होने के बाद जल और फल ग्रहण करें। इस दिन कछुआ की पूजा जरूर करें। सनातन धर्म में कछुआ को धन-संपत्ति का कारक माना गया है। घर में कछुआ रखने से आर्थिक संकट नहीं आता। उसकी पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी कछुआ रखने की परंपरा है। इससे धन की आवक बनी रहती है।
कूर्म द्वादशी के दिन घर में कछुआ लाने का सबसे ज्यादा महत्व बताया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर बताते हैं कि काले रंग के कछुए को सबसे शुभ माना जाता है। इसको घर की उत्तर दिशा में रखना चाहिए। यदि किसी कारणवश जीवित कछुआ नहीं रख सकते हैं तो चांदी का छोटा सा कछुआ भी आज खरीदकर इसे घर या दुकान में रख सकते हैं। चांदी के अलावा अष्टधातु का कछुआ भी रखा जा सकता है। काले रंग का कछुआ जीवन में हर तरह की तरक्की की संभावनाएं बढ़ाता है।