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धरती से 212 प्रकाशवर्ष दूर है बृहस्पति जैसा ग्रह, पर 10 गुना हल्का…आखिर अब तक कैसे है ‘जीवित’?

Kuldeep by Kuldeep
January 24, 2021
Reading Time: 1min read
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ऐस्ट्रोनॉमर्स ने ऐसा ग्रह खोजा है जो बृहस्पति के बराबर है लेकिन उससे 10 गुना हल्का है। इसका नाम WASP-107b है और माना जा रहा है कि अब तक खोजे गए एग्जोप्लैनेट्स में से सबसे कम घना है। इसकी वजह से इसे सुपर-पफ और कॉटन कैंडी प्लैनेट भी कहा जा रहा है। रिसर्चर्स का कगना है कि इससे ग्रहों के बनने और बढ़ने की प्रक्रिया को समझा जा सकता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतना हल्का ग्रह अब तक सितारे के करीब जीवित कैसे है?

Jupiter Like Lighter Planet: वैज्ञानिकों को एक ऐसे ग्रह की खोज की है जो आकार में बृहस्पति जितना विशाल है लेकिन इसका द्रव्यमान (Mass) बेहद कम है।

धरती से 212 प्रकाशवर्ष दूर है बृहस्पति जैसा ग्रह, पर 10 गुना हल्का...आखिर अब तक कैसे है 'जीवित'?
ऐस्ट्रोनॉमर्स ने ऐसा ग्रह खोजा है जो बृहस्पति के बराबर है लेकिन उससे 10 गुना हल्का है। इसका नाम WASP-107b है और माना जा रहा है कि अब तक खोजे गए एग्जोप्लैनेट्स में से सबसे कम घना है। इसकी वजह से इसे सुपर-पफ और कॉटन कैंडी प्लैनेट भी कहा जा रहा है। रिसर्चर्स का कगना है कि इससे ग्रहों के बनने और बढ़ने की प्रक्रिया को समझा जा सकता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतना हल्का ग्रह अब तक सितारे के करीब जीवित कैसे है?

बृहस्पति जितना विशाल लेकिन बेहद हल्का
बृहस्पति जितना विशाल लेकिन बेहद हल्का
WASP-107b धरती से 212 लाइट इयर दूर वर्गो (Virgo) तारामंडल में स्थित है। आकलन के मुताबिक धरती सूरज से जितनी दूर है, यह ग्रह अपने सितारे WASP107 से उसका 16 गुना ज्यादा करीब है। हवाई के केक ऑब्जर्वेटरी के ऑब्जर्वेशन के आधार पर यूनिवर्सिटी ऑफ मॉन्ट्रियाल के रिसर्चर्स ने ग्रह के आकार और घनत्व का पता लगाया है। इसका कम घना होना इस बात का संकेत है कि इसकी कोर धरती के द्रव्यमान से चार गुना से ज्यादा नहीं होगी और इसका 85% मास (Mass) गैस की मोटी परत के रूप में मौजूद है।

अभी तक गैस खत्म क्यों नहीं हुई?
अभी तक गैस खत्म क्यों नहीं हुई?
वैज्ञानिकों के सामने यह पहेली कायम है कि आखिर इसकी गैस अभी तक खत्म क्यों नहीं हुई है? डेली मेल ऑनलाइन ने ऐसे ग्रहों की विशेषज्ञ प्रफेसर ईव ली के हवाले से कई थिअरी बताई हैं। ईव के मुताबिक, ‘WASP-107b को लेकर सबसे बड़ी संभावना रही होगी कि यह ग्रह अपने सितारे से काफी दूर बना होगा जहां जब डिस्क में गैस इतनी ठंडी होती है कि बहुत तेजी से बढ़ जाती है। बाद में यह ग्रह अपनी मौजूदा लोकेशन पर आया होगा।’

एक और ग्रह भी काट रहा चक्कर
एक और ग्रह भी काट रहा चक्कर
ऑब्जर्वेशन में यह भी पता चला है कि इस सितारे का चक्कर काट रहा यह अकेला ग्रह नहीं है। WASP-107c नाम का ग्रह भी इसके साथ है। इसका द्रव्यमान बृहस्पति का एक-तिहाई है और यह WASP-107 से काफी दूर है और इसे तारे का एक चक्कर लगाने में तीन साल लगते हैं। इसकी कक्षा गोलाकार से ज्यादा अंडाकार है। अपने सौर मंडल के बाहर ऐसे ग्रह मिलने से बृह्मांड में ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को समझा जा सकेगा। साथ ही, अलग-अलग तरह के ग्रहों के बारे में जानकारी भी मिलेगी।

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